Jun 15, 2011

क्या खोया,क्या पाया....



"हद होती है बेटू, कितनी बार कहा था की चीजें संभाल के रखना.दिमाग कहाँ रहता है तुम्हारा ?"मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था.मसला मेरी नयी जींस का था जो मेरी बड़ी बेटी अपनी
स्कूल की ट्रिप पर लेकर गयी थी और हज़ार बार की हिदायत के बावजूद ,जैसा कि मुझे पूरा पूरा अंदेशा था,वो जींस अब खो चुकी थी."अब उठो ढूँढो और रखो इस किताब को.मैंने गुस्से से कहा.
वो अपनी मनपसंद किताब जो उसको एक दिन बाद वापस करनी थी छोड़ के,घबराई हुई से सारी अलमारियों मैं ढूँढने लगी.अब तक शायद उसको भी पता नहीं था कि उसने क्या कर दिया है.
"माँ,मैंने नहीं खोयी है,पक्के से रखी थी सामान में"उसने मेरा रौद्र रूप देख कर घबराते हुए कहा."अच्छा,तो मुझे शौक लगा है सारे घर में तांडव करने का? मेरा गुस्सा कम होने का
नाम ही नहीं ले रहा था.गुस्से मे मैं भी उसके साथ जींस ढूँढने की नाकाम कोशिश करने लगी.लेकिन जींस को न मिलना था न वो मिली..अफ़सोस,,गुस्से,लाचारी और जींस की यादों के साथ
मैंने अपना मन घर के रोज़ के कामों में लगाने की कोशिश की.पर उस प्यारी जींस की याद जैसे जाती ही नहीं थी.में बार-बार खुद पर झल्ला रही थी"आखिर मैंने वो जींस बेटू को दी ही क्यूँ?पर
अब तो बात हाथ से निकल चुकी थी.
गुस्से को शांत करने के लिए और आदत के अनुसार मैंने रेडियो ऑन कर दिया और घर के कामों में लग गयी.अचानक कुछ पहचाना सा कानों में पड़ा."कौन सा गाना है?" उत्सुकता के साथ रेडियो
के पास गयी.मेरे मनपसंद गाने के कुछ बोल कानो में पड़े...."जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया,जो खो गया में उसको भुलाता चला गया".....मिल गया...खो गया...? अन्दर कुछ हिल सा गया जैसे
"ये क्या कर रही थी में....एक जींस के लिए अपनी बेटी को इतना गुस्सा कर रही थी.ये क्यूँ नहीं सोचा वो सही सलामत वापस आयी है.बस से गयी थी,पहाडी रास्ता था,रात का सफ़र था.कभी भी कुछ भी
हो सकता था.आजकल कहाँ देर लगती है कुछ भी बुरा होने में वो भी लड़कियों के साथ.भगवान् का शुक्रिया अदा करने के बजाये में नाराज़ ही जा रहीं हूँ उस पर,वो भी एक जींस के लिए?"खुद पे और भी
ज्यादा गुस्सा आया.ये सोच कर की बेटू को थोडा सा और समझा कर इस किस्से को यहीं ख़तम करती हूँ तभी मेरी छोटी बेटी जो सारी बात को समझते हुए ,अपना भला चाहते हुए अब तक शांत थी,मेरे सामने
आयी और बड़े आराम से पूछा.."मम्मी क्या हुआ?" मैंने अपनी प्यारी जींस को याद करते ही कहा...."मेरी नयी जींस खो दी है दीदी ने.अब क्या करूँ?"उसने एक सेकंड को सोचा और मुस्कुराते ही जवाब दिया.
"माँ,शौपिंग":))
क्यूँ इस कदर मसले हम उलझाते हैं
की हंसने की वज़ह ढूंढे से भी न मिले......!!

2 comments:

  1. so finally a long awaited post by the co owner of the blog. simple , straight and meaningful ... sounds like the soul curry column of TOI. keep writing dost u never know at what time such things click in the mind of the reader of our blog and they may refrain themselves from committing a mistake.

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